छत्तीसगढ़ राज्य का इतिहास और जानकारी





छत्तीसगढ़ राज्य का गठन 1 नवम्बर 2000 को हुआ। यह राज्य देश का 10 वा विशालतम राज्य है।जनसँख्या के साथ यह भारत का 17 वा सर्वाधिक जनसँख्या वाला राज्य है।


छत्तीसगढ़ राज्य का इतिहास और जानकारी 

Chhattisgarh History Information


प्राचीन समय में यह क्षेत्र दक्षिण कोसला के नाम से जाना जाता था। छठी और 12 वी शताब्दी के बीच शरभपुरी, पांडूवंशी, सोमवंशी, कालाचुरी और नागवंशी शासको ने क्षेत्र पर राज किया। 11 वी शताब्दी में छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र पर चोला साम्राज्य के राजेन्द्र चोला प्रथम और कुलोथुंगा चोला प्रथम ने आक्रमण किया था।


1741 से 1845 तक छत्तीसगढ़ मराठा साम्राज्य के नियंत्रण में था। 1845 से 1947 तक छत्तीसगढ़ पर ब्रिटिशो का नियंत्रण था। 1845 में ब्रिटिश के आगमन के साथ ही रतनपुर की जगह पर रायपुर ने शोहरत हासिल कर ली। 1905 में संबलपुर जिले को ओडिशा में स्थानांतरित किया गया और सुरगुजा राज्य को बंगाल से छत्तीसगढ़ स्थानांतरित किया गया।

क्षेत्र में नए क्षेत्र को मिलाकर 1 नवम्बर 1956 को नये राज्य की स्थापना की गयी और बाद में यह आज़ादी के 44 वर्षो तक राज्य का ही भाग रहा। नव राज्य मध्यप्रदेश का हिसा बनने से पहले यह क्षेत्र प्राचीन मध्यप्रदेश राज्य का हिस्सा था, जिसकी राजधानी भी भोपाल ही थी। इससे पहले ब्रिटिश राज में यह क्षेत्र केंद्रीय प्रांत और बरार का हिस्सा था। छत्तीसगढ़ राज्य के कुछ क्षेत्र ब्रिटिश शासन के समय केंद्रित प्रान्त हुआ करते थे, लेकिन बाद इन्हें मध्यप्रदेश में शामिल कर दिया गया।

सबसे पहले 1920 में स्वतंत्र राज्य की मांग की गयी थी। इसके बाद थोड़े समय के अंतराल में बार-बार यह मांग होती रही, लेकिन कभी भी इसके लिए किसी अभियान की स्थापना नही की गयी। हमेशा सभी राजनितिक पार्टियाँ आपस में आती थी, सामाजिक सभाए, सेमिनार, रैली और हड़ताले होती थी।

1924 में रायपुर कांग्रेस यूनिट ने स्वतंत्र राज्य की मांग की और साथ ही त्रिपुरा में भारतीय कांग्रेस की वार्षिक सभा में भी इस बात पर चर्चा की गयी। छत्तीसगढ़ में क्षेत्रीय कांग्रेस संस्था को स्थापित करने की बार पर भी चर्चा की गयी थी।

1954 में जब राज्य पुनर्गठन कमीशन की स्थापना की गयी तो स्वतंत्र छत्तीसगढ़ राज्य की मांग को सामने लाया गया, लेकिन इस बात की तब भी मंजूरी नही मिली। 1955 में नागपुर असेंबली में स्वतंत्र राज्य की मांग की गयी, जो उस समय मध्य भारत में आता था।

1990 में विरोध की और भी गतिविधियाँ देखने मिली। जिसमे राज्य में राजनितिक फोरम की स्थापना करना और विशेषतः राज्य निर्माण मंच की स्थापना करना भी शामिल था। चंदुलाल चद्रकर ने फोरम का नेतृत्व किया और फोरम में बहुत से सफल क्षेत्रीय आंदोलनों का आयोजन किया गया। फोरम के इन आंदोलनों को सभी संस्थाओ से सहायता मिल रही थी, जिसमे भारतीय जनता पार्टी और भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस भी शामिल थी।

नये राष्ट्रिय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार ने पुनः तैयार किये हुए छत्तीसगढ़ बील को अनुमोदन के लिए मध्यप्रदेश असेंबली भेजा, जहाँ एक बार फिर इसे सर्वसम्मति से अनुमोदित किया गया और लोक सभा में पेश किया गया। स्वतंत्र छत्तीसगढ़ का बील लोकसभा और राज्यसभा में पारित किया गया और स्वतंत्र छत्तीसगढ़ राज्य बनाने का रास्ता भी साफ़ हो गया।

25 अगस्त 2000 को भारत के राष्ट्रपति ने मध्य प्रदेश पुनर्गठन एक्ट 2000 के तहत अपनी सहमति भी दे दी। भारत सरकार ने 1 नवम्बर 2000 को ही मध्य प्रदेश राज्य को छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश नामक दो राज्यों में विभाजित किया।
छत्तीसगढ़ राज्य के पैलेस – Chhattisgarh Palace

छत्तीसगढ़ राज्य में बहुत से पैलेस देखने मिलते है। छत्तीसगढ़ राज्य के प्रसिद्ध पैलेस निम्न है – पैलेस कवर्धा, बस्तर पैलेस, कवर्धा कंकर पैलेस।
छत्तीसगढ़ राज्य के मंदिर – Chhattisgarh state temples

प्राचीन समय में छत्तीसगढ़ को दक्षिण कोशल के नाम से जाना जाता था, जिसका उल्लेख रामायण और महाभारत दोनों में किया गया है। समय के साथ-साथ इस क्षेत्र पर हिन्दू साम्राज्यों ने राज किया और बहुत से मंदिरों का भी निर्माण किया गया। छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्य मंदिर निम्न है:

जांजगीर चंपा मदनपुरगढ़ देवी मंदिर, लक्ष्मण मंदिर और गंधेश्वर मंदिर, सिरपुर बारसूर दंतेश्वरी मंदिर, सुरगुज शंकर मंदिर, दंतेवाड़ा शिवानी मंदिर, कंकर चंडी मंदिर, डोंगरगढ़ महामाया मंदिर, सुरगुज कुंदर्गढ़, दीपदिह, सुरगुज विष्णु मंदिर, जांजगीर चंपा पिथमपुर शिव मंदिर, जांजगीर चंपा घटादै (पाहरिया) त्रिपुर सुंदर देवी, जांजगीर चंपा शिवरीनारायण लक्ष्मीनारायण मंदिर, जांजगीर चंपा खरुद नगर लक्ष्मनेश्वर मंदिर, जांजगीर चंपा तुर्रिधाम शिव मंदिर, जांजगीर चंपा अद्भर अष्टभुजी मंदिर, जांजगीर चंपा चन्द्रहसिनी देवी मंदिर, जांजगीर चंपा गंगा माझ्या मंदिर, रतनपुर मल्ल्हार का दुर्ग मंदिर।
छत्तीसगढ़ राज्य की प्राचीन गुफा – Ancient Caves of Chhattisgarh State

आदिवासी बस्तर जिले के पहाड़ी क्षेत्र और कुंवारी केजर घाटी के जंगल बहुत सी प्राचीन गुफाओ का घर रह चुके है।

मानसून के समय कुछ समय के लिए इन गुफाओ को बंद रखा जाता है। बाद में बस्तर लोकोत्सव के समय इन्हें खोला जाता है। गाइड सावधानीपूर्वक पर्यटकों को अंदर और बाहर ले जाते है। जबकि, 8 साल के कम बच्चो और 60 साल से ज्यादा की उम्र वाले लोगो को गुफा में ना आने की सलाह दी जाती है। गुफा में जाने से पहले पैदल चलने वाले जूते जरुर पहन ले।

गुफा में जाते समय नाममात्र प्रवेश शुल्क लिया जाता है। इसमें गाइड की लागत भी शामिल है, जो आपको पूरी गुफा घुमाता है।
छत्तीसगढ़ राज्य के वॉटरफॉल – Waterfall of Chhattisgarh State

छत्तीसगढ़ में भारत के बेहतरीन वॉटरफॉल है, दुनिया के दुसरे वॉटरफॉल से भी आप इसकी तुलना कर सकते हो। उनमे से कुछ निम्न है:

चित्रकोट वॉटरफॉल, दंतेवाडा मलंझ कुडुम वॉटरफॉल, कोरिया गावर घाट वॉटरफॉल, तिरतगढ़ वॉटरफॉल, मंडवा वॉटरफॉल, सुरगुज केँदै वॉटरफॉल, चित्रशारा वॉटरफॉल, थमादा घुमर वॉटरफॉल, मेंदरी घूमर वॉटरफॉल, बोधघाट साथ धारा, कंकर छर्रे मर्रे वॉटरफॉल, कोरिया रामदाहा वॉटरफॉल, कोरिया अकुरी नाला, कोरिया पवाई वॉटरफॉल, सुरगुज राजपुरी वॉटरफॉल, कंकर अमृत धारा वॉटरफॉल, जशपुर दंपुरी वॉटरफॉल, जशपुर राणी दाह वॉटरफॉल, जशपुर।

छत्तीसगढ़ राज्य की संस्कृति – Culture of Chhattisgarh State

छत्तीसगढ़ बहुत से आदिवासियों का घर रह चूका है। यहाँ तक की यह राज्य भारत के प्राचीनतम आदिवासी समुदाय का घर भी रह चूका हैं और माना जाता है की प्राचीन आदिवासी 10000 वर्षो से भी ज्यादा समय के लिए बस्तर में रह रहे थे। बाद में कुछ समय बाद आर्यों ने भारतीय मुख्य भूमि पर कब्ज़ा कर लिया।

छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्य आदिवासी समुदाय में निम्न शामिल है:

भुंजिया कोरबा – कोरवा, बस्तर – गोंड, अबिजमारिया, बिसोन्होर्ण मारिया, मुरिया, हल्बा, भत्रा, परजा, धुर्वा दंतेवारा – मुरिया, दंदामी मरिया उर्फ़ गोंड, दोरला, हल्बा कोरिया – कोल, गोंड, सावरा,गोंड, राजगोंड, कावर, भैयाना, बिंज्वर, धनवर बिलासपुर और रायपुर – पर्घी, सावरा, मंजी, भयना गरियाबंध, मैनपुर, धुरा, धमतरी – कमर सुरगुजा और जशपुर – मुंडा।

छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्य उत्सव – Chief Festival of Chhattisgarh State
रतनपुर मेला
बस्तर दशहरा / दुर्गा पूजा
गोवर्धन पूजा
बस्तर लोकोत्सव
मंदी महोत्सव
राजिम कुम्भ मेला
पखंजोर मेला (नर नारायण मेला)
शिवरीनारायण मेला
सीहवा मेला
गिरोधपुरी मेला
सिरपुर महोत्सव
पोला
नोवाखई
दामखेडा मेला

छत्तीसगढ़ राज्य के दर्शन करने का सही समय – Right time to visit Chhattisgarh state

छत्तीसगढ़ का मौसम उपोष्णकटिबंधीय है। इसीलिए साल में वर्षा ऋतू के अलावा आप किसी भी मौसम में राज्य के दर्शन कर सकते हो। यदि आपको सबसे बेहतरीन वातावरण का आनंद लेना है तो आपको सितम्बर और दिसम्बर के समय यहाँ की यात्रा करनी चाहिए।

राज्य सांस्कृतिक सुंदरता और सुखद वातावरण से समृद्ध है। राज्य घने जंगल, पहाडियों, धाराओ, झरनों, प्राकृतिक गुफाओ और पार्क इत्यादियो से घिरा हुआ है। छत्तीसगढ़ के कश्मीर के नाम से प्रसिद्ध बस्तर शहर, बहुत से विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है। भारत की विशालतम नदियों में से एक, महानदी की उत्पत्ति इसी राज्य से हुई है।

साल भर राज्य में बहुत से पर्यटक आते है। आप यहाँ नक्काशीदार मंदिर, प्राचीन स्मारक, दुर्लभ वन्यजीव, गुफा, बुद्धा स्थल, पैलेस, वॉटरफॉल, पत्थर की पेंटिंग्स और पहाड़ी इलाके देख सकते है। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में बस्तर, कैलाश और कोटमसर गुफा, महामाया मंदिर शामिल है।

दुसरे प्रसिद्ध स्थलों में अचानकमार वन्यजीव अभयारण्य, उदंती वन्यजीव अभयारण्य, गोमर्दा रिज़र्व फ़ॉरेस्ट, मैत्री बाघ, चित्रकोट, चित्राधार वॉटरफॉल, तिर्थगढ़ वॉटरफॉल, बारसूर, लक्ष्मण मंदिर, उवादाग्गाहरम पर्श्वा तीर्थ, महंती घासी दास मेमोरियल म्यूजियम, चैतुरगढ़ किला, रतनपुर फोर्ट, कंकर पैलेस और इत्यादि शामिल है।

राज्य के बीच से जाने वाले राष्ट्रिय राजमार्गो में NH6, NH16 और NH43 शामिल है।

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